Thursday, April 23, 2009

इंटरव्यू

अजी सुनते हो
घर में घुसा ही था कि श्रीमती जी बोलीं
मुन्ना चलने लग गया है.
हाँ, फिर ?
फिर क्या ?
दाखिला नहीं कराना है स्कूल में
मैं चौंका,
यह नन्ही जान
खुली नहीं अभी ढंग से जबान
क्या पढेगा ?
अजी अभी पढाना किसको है.
यह तो रिहर्सल है, स्कूल जाने की
और फिर यहाँ यह रोता भी है
वहाँ मेडमें होंगी,
वो खिलाएँगी इसे
टोफियाँ देंगी.
हमें भी कुछ देर सुकून तो मिलेगा
मगर भागवान...
बात पूरी होने से पहले बोल पड़ी वो
मगर -वगर कुछ नहीं
मैं फार्म ले आई हूँ प्रवेश का
कल इंटरव्यू है अपना
तुम्हें भी चलना है.
प्रवेश बच्चे का, इंटरव्यू अपना ?
जी हाँ. यह प्रीव्यू है पेरेंट्स का
बच्चा तो ढंग से बोलता भी नहीं अभी
क्या पूछेंगे इससे
तो हमसे क्या पूछेंगे ?
यही कि, क्या हम समय दे पाएंगे
इसे घर पर
रोज दो चार घंटे पढाने का.

Tuesday, April 21, 2009

मैं कोनसा भाषण सुनने जा रही हूँ......

पानी के छींटे लगते ही मैं हडबडा कर उठ बैठा. इससे पहले कि गुस्से में मेरा तीसरा नेत्र खुलता दोनों नेत्रों के सामने श्रीमतीजी का चेहरा आ गया. बस इतना काफी था, तीसरा नेत्र उनींदा ही रह गया। एक हाथ मैं पानी का लोटा और दूसरा हाथ कमर पर रखे घर की महारानी खड़ी थी। नींद तो एक झटके में भीगी बिल्ली बन गयी। आँखें बिना खोले ही खुल गई. इससे पहले की में कुछ बोल पाता, उसकी सवाई माधोपुर के अमरूदों की सी मिठास लिए आवाज मेरे कानो में पड़ी -

'आप नहीं उठ रहे थे न, इसलिए पानी डालना पड़ा.

उसकी नरमी मेरी गर्मी बड़ा गई.

'आज सुबह -सुबह ऐसा कोनसा पहाड़ टूट पड़ा कि मेरी नींद ख़राब कर दी.

अचानक मेरा ध्यान श्रीमतीजी के सार श्रींगार पर गया। बाप रे क़यामत डा रही थी. दिमाग की बत्ती बिना स्विच दबाये ही जल गयी. खटका तो उसकी मीठी आवाज सुनकर ही हो गया था.

'और ये सज-धज कर कहाँ जाने की तैयारी है।'

' वो नेताजी की सभा है न, बालाजी के चौक में। मोहल्ले की सभी ओरतें जा रही हैं.

मेरा दिमाग घनचक्कर हो कर रह गया। मुझे हंसी भी आयी.

'ये तुम्हें भाषण सुनने का शौक कबसे चर्रा गया'

'अजी भाषण किसे सुनना है। हम तो सलमान खान को देखने जा रहे हैं.'

अभी में इस पर कोई प्रतिक्रिया देता इससे पहले ही पड़ोस वाले शर्माजी की बबली की तेजी के साथ सीन में एंट्री हुयी। बिना पोजीसन लिए ही उसने डाइलोग बोल दिया.

'जल्दी आइये आंटी जी सब आंटियां ऑटो में बात चुकी हैं। आपका ही इन्तेजार है।'

एक ही सांस में सारी बात कहने के साथ ही वो एग्जिट हो गई और दृश्य में रह गए हम -दोनों.

मैंने कुछ सोचते हुए श्रीमती जी से कहा

'देखो हम उसे वोट भी नहीं दे रहे हैं फिर तुम क्यों जा रही हो उसकी सभा में.

'वोट तो आप कहोगे वहां ही देंगे, और फिर में कोनसा उसका भाषण सुनने जा रही हूँ। में तो सलमान खान को देखने जा रही हूँ.

उसकी आंसर की ने मुझे चुप कर दिया. मेरी चुप्पी उसके लिए हाँ थी. वो पलती और झटके से दरवाजे से बहार निकल गई. में मुह खोले और दायां हाथ आगे बढाये कुछ बोलने के अंदाज में फ्रीज़ हो गया.

Friday, April 3, 2009

पापा-वापा छोडो

'पिंटू बिलकुल अपने दादा पर गया है। अभी छठा साल भी पार नहीं किया है और कितना बड़ा दिखने लगा है. रंगत में तो अपनी मम्मी पर गया है, गोरा चिट्टा.' कुछ दिनों पहले तक ये घरों में चलने वाली आम बातें थीं, जिनके आधार पर संतान की तुलना अपनी पीढी के आनुवंशिक गुणों से की जाती थी. अब जमाना बदल गया है. ये बातें पुरानी हो चली हैं. अब संतान माँ-बाप पर नहीं, बाजार पर जाती है. उसमें आनुवंशिक नहीं आरोपित गुण आते हैं. टीवी पर इन दिनों एक विज्ञापन आता है, आपने भी देखा होगा. स्क्रीन पर एक महिला अपनी सहेलियों को त्रोफियों से भरी आलमारी दिखाते हुए अपने बच्चे की इंटेलीजेंसी का बखान कर रही होती हैं. तभी उसका लाडला एक और ट्राफी लिए हुए घर में प्रवेश करता है. इस पर वह महिला थोडा इतर कर कहती है,
' लगता है ट्रोफियों के लिए अब तो एक अलग से रूम ही बनवाना पड़ेगा।'
यह सुनकर उसकी सहेलियों में से एक बोलती है,
'लगता है यह लड़का अपने पापा पर गया है।'
तभी दूसरी सहेली उसकी बात काटते हुए कहती है,
' पापा-वापा छोडो, इनके यहाँ डिस्नेट का इंटरनेट कनेक्शन है। '
जी हाँ अब इंटरनेट का जमाना है. अगर आप जिंदगी भर भी डपोर शंख रहे तो घबराइये मत कि आपका बच्चा भी आप पर चला गया तो क्या होगा? अब यह चिंता-विनता छोडो और इंटरनेट से नाता जोडो. हो सकता है आप हेल्थ में कमजोर हों और डर रहे हों कि आपकी संतान भी आप जैसी हुई तो ? अब नो टेंसन. बाजार हाजिर है. हेल्थसन, लोह्बल या फिर और कोई कप्सूल दीजिये, आपका लाडला डब्लू-डब्लू ऍफ़ के पहलवानों को मात करने लगेगा. ज्यादा दे दो तो सूमो से सीधा मुकाबला है. अंदरूनी या दिमागी तौर पर कमजोर है तो कईं विकल्प हैं, बोर्नवीटा, कोम्प्लान वगैरा -वगैरा. फेहरिस्त लम्बी है. बस उम्दा पर टिक लगाइए और बना दीजिये अपनी संतान को ब्रिलियंट. मुझे डार्विन का आनुवंशिकवाद फेल होता नजर आ रहा है. आप छोटे हैं तो क्या हुआ, सारी आनुवंशिक गणित को धता बताते हुए अपने बच्चे को जिराफ कि गर्दन जितना या आदमियों के हिसाब से देखें तो कौन बनेगा करोड़पति के अमिताभ बच्चन जितना लम्बा कर सकते हैं, लॉन्ग लुक से. आप काले हैं तो नो प्रोब्लम. इस फिल्ड में आपके पास ऑप्सन ही ऑप्सन हैं. सनक्रीमें और माउथवाश. गोरापन लाने वाली हल्दी और चन्दन के गुण समाये बहुत सी आयुर्वेदिक क्रीमें, मसलन फेयर एंड लवली, पोंड्स, नेचुरली फेयर, बोरो प्लस, वीको टर्मरिक वगैरा-वगैरा. चुनने में कन्फ्यूज हो रहे हैं? दिमाग काम नहीं कर रहा है. इसका भी सॉल्यूशन है. नवरतन का तेल सर में लगाइए, दिमाग को ठंडा-ठंडा, कूल-कूल कीजिये और बना लीजिये काले पेरेंट्स कि संतान को गोरा. मेरिट में आने वाले बच्चे का अखबार में फोटो देखना. दखी है मा-बाप के साथ. लिखा देखा है कभी-थेंक्यू मम्मी-पापा. धन्यवाद इसलिए नहीं कहा आप मुझे पुरातन पंथी मान बैठेंगे. टोपर का फोटो होता है किसी उत्पाद के साथ और नीचे लिखा होता है थेंक्यू फलां उत्पाद, फलां पासबुक या फिर और कुछ. अब तो वैज्ञानिक भी परखनली में शिशु पैदा करने का दावा करने लगे हैं. गुणों वाला कोई झंझट ही नहीं. बस आप उन्हें नोट करा दीजिये अपनी संतान की आँखों, बालों का रंग, हेल्थ और लम्बाई और पिये अपनी मनपसंद मॉडल संतान. इसलिए भाई मेरे आनुवंशिकता को भूल जा, पापा-वापा छोड़, उतर जा बाजार में और पा ले अपना/अपनी वंश बेल का/की वारिश.
शिवराज गूजर

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