Sunday, May 9, 2010

मेरी मम्मी

आज मदर्स डे है। यानी मां का दिन। मां, जिसने हमारे अस्तित्व में आने की प्रक्रिया की पहली अवस्था से लेकर आज के दिन तक हर पल हमारे लिए और सिर्फ हमारे लिए जीवन जिया है। परिवार के लोगों की हर जरूरत का ध्यान रखने में भी उसकी नजर कहीं न कहीं से हमारी ही ओर निहारती रही। तीन बच्चों का पिता होने के बावजूद आज भी मैं उसके लिए छोटा बच्चा ही हूं। गांव जाता हूं तो वे बिल्कुल उसी तरह मेरा ध्यान रखती हैं जैसे पैंतीस साल पहले, जब मैं बोलना भी नहीं जानता था, तब रखती थी। आज मैं खुद कमाने लग गया हूं, पर जब भी मैं शहर के लिए रवाना होता हूं तो वो पापा से यही कहती हैं, सोराज (गांव में सब मुझे सोराज ही कहते हैं) न पीसा दे अर आज्यो। शहर मैं कांई तोल क्यान परेशान रेतो होवेलो। योतो खे कोने। मैं मना करता रह जाता हूं और वो पापा से पैसे दिलवाकर ही मानती हैं। साथ ही कई बार तो अपनी बचत को भी वे धरे से मेरी जेब मेंं सरका देती हैं। उसी मां के लिए मैंने चंद लाइनें लिखी हैं। वो तो पढ़ नहीं पाएंगी क्योंकि वो कभी स्कूल नहीं गईं, लेकिन मैं अपनी भावनाएं आप लोगों से शेयर करना चाहता हूं।

मुझको सबसे प्यार है, मेरी मम्मी
जग में सबसे न्यारी है, मेरी मम्मी

आंखों में आंसू भर आए
हल्की सी जो चोट मुझे आ जाए
ठोकर मुझको लग जाए तो
देती पत्थर को भी गारी है, मरी मम्मी
मुझको सबसे प्यारी है.....

ऐसी भूल कभी मुझसे हो जाए
जो पापा को गुस्सा आए
मुझे बचाने की खातिर
खुद ओढ़े गलती सारी है, मेरी मम्मी
मुझको सबसे प्यारी है.....

गलती जो कोई मुझसे हो जाए
बड़े प्यार से वो समझाए
क्या गलत और क्या है सही
बात बताए सारी है, मेरी मम्मी
मुझको सबसे प्यारी है.....

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