नजरिया
देखो तो कैसे ठूंस -ठूंस कर भर रखी है सवारियां, कोई मरे तो मरे इनका क्या ? इन्हें तो बस सवारियों से मतलब,
आती जाती बसों की स्थिति पर बगल में खड़े शर्माजी कंडक्टरों और बस मालिकों को कोस रहे थे, इसी दौरान उनकी बस आ गईउसकी हालत औरों से ज्यादा ख़राब थी , शर्माजी बस की और लपके ,
मैंने कहा, शर्माजी बहुत भीड़ है, पीछे वाली मैं चले जाना ,
पीछे वाली कोनसी खाली आएगी, उसका भी यही हाल होगा , ऐसे इंतजार करता रहा तो जा लिया दफ्तर, बात पूरी होने तक शर्माजी बस पर लटक चुके थे एक पैर पर,
Thursday, June 5, 2008
Tuesday, June 3, 2008
श्रीगणेश

ॐ गुरूजी चाँद सूरज, जिह्वा ज्वाला सरस्वती, हिरदे बसो हमेश, भूल्या अक्षर कंठा कराओ तो गौरी पुत्र गणेश, लगी कूंची खुल्या कपाट, जा देख्या ब्रह्माण्ड का घाट, नो नाडी सुरसत बहे, गुरु शब्द लिव लागी रहे, हिरदे कूंची का जाप सही तो महादेवजी ने कही,
कुछ भी कराने से पहले गणेशजी का और कुछ भी लिखने से पहले माँ सरस्वती का स्मरण जरूरी है. मैंने भी एक छोटी सी स्तुति से दोनों का ध्यान किया है.
शिवराज गूजर
Subscribe to:
Posts (Atom)