ना थारी छे, ना म्हारी छे
या दुनिया भाया दारी छे
गरज पड्यां सूं गुड बण ज्या
काम निकलता ही खारी छे
अंटी मैं पीसा हो तो
जग बण जावे भाएलो
लक्ष्मीजी जद घर छोड़े
कुण नाती, कुणकी यारी छे
पूत कमाऊ हो घर मैं तो
सबने लगे प्यारो सो
बेरुजगार घूमतो बेटो
लागे सबने बेरी छे
शिवराज गूजर
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