बचपन मैं सुना करते थे किडाकू किसी को भी लूटने से पहले इश्तेहार चिपका दिया करते थे, जिसमें लूट का दिन, किसके यहाँ लूट करेंगे और कब करेंगे यह सब लिखा रहता था, तय दिन को पूरी सुरक्षा व्यस्था को धता बताते हुए डाकू वारदात को अंजाम दे जाते थे और पुलिस हाथ मलती रह जाती थी, ऐसी कई फिल्में भी बनी थी जिनमें ये सब दिखाया गया था,
तब ये सब सुनते थे, आज देख रहे हैं, बदला है तो बस ये कि अब डाकू कि जगह आतंकवादी ने ले ली है और इश्तेहार की जगह मेल ने, उनके हलकारे कि जगह मीडिया ने ले ली है, जो उनके मेल को लेकर डिन्डोरा पीटता रहता है, जैसे ही आतंकवादी कहीं कोई वारदात करते हैं, सुरक्षा एजेंसियों का वही सदा गला बयान आ जाता है हमने तो पहले ही चेता दिया था, लगता है चेताने के आलावा इनका कोई काम ही नही रह गया है,
1 comment:
सही कह रहे हैं. कल ही टीवी पर दिल्ली बम धमाकों का वो ईमेल चीख चीख कर दिखाया जा रहा था.
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