Sunday, November 9, 2008

भूख स्वाद नही देखती

पप्पू बुरी तरह घबरा गया था, हड़बड़ी मैं किसी और का आर्डर मिस्टर बवेजा को दे आया था, बवेजा का गुस्सा वो पहले देख चुका था, नमक कम होने पर ही वो कई बार खाना फ़ेंक चुका था, कंपकंपाता वो डाबा मालिक रामलाल के पीछे जाकर खड़ा हो गया, राम लाल ने उसे इसतरह खड़ा देखा तो डाँटते हुए बोला
अबे ओये पप्या यहाँ खड़ा-खड़ा क्या कर रहा है, ग्राहकों को क्या तेरा बाप देखेगा,
लेकिन पप्पू वहां से हिला तक नही, यह देख रामलाल समझ गया कि कुछ गड़बड़ हो गयी है, उसने पप्पू कों पुचकारा तो उसने सारीबात बता दी, मामला समझने के बाद रामलाल के चहरे पर भी चिंता कि लकीरें दिखाई देने लगी, लेकिन अब क्या हो सकता था,
अब क्या होगा दादा,
पप्पू ने डरते हुए पूछा,
वही होगा जो मंजूरेबवेजा होगा,
रामलाल इससे ज्यादा नही बोल सका,
तभी किसी ग्राहक ने आवाज दी,
हाँ भइया कितना देना है,
रामलाल ने देखा बवेजा काउंटर पर खड़ा था, लेकिन वह सामान्य नजर दिखाई दे रहा था, गुस्से का कोई भावः उसे नही दिखा, तो उसकी चिंता ख़त्म हो गयी और उसने पप्पू से पूछ कर पेमेंट ले लिया,
जब वह चला गया तो पप्पू रामलाल के पास आकर बोला,
आज तो कमल ही हो गया दादा, नमक कम होने पर ही थाली फ़ेंक देने वाला सादा खाना खाकर खाकर चला गया और वो भी बिना कुछ बोले,
भूकस्वाद नही देखती पप्या भूख मैं भाटे भी स्वादिस्ट लगते हैं,
पप्पू के कुछ समझ मैं नही आया था, लेकिन उसने समझने वाले अंदाज मैं सर हिला दिया,
शिवराज गूजर

4 comments:

Vivek Gupta said...

सुंदर | सही बात |

Udan Tashtari said...

सही कहा!

seema gupta said...

भूकस्वाद नही देखती पप्या भूख मैं भाटे भी स्वादिस्ट लगते हैं,
" very well said, a truth of life.."

Regards

विधुल्लता said...

सहज भाषा मैं दिल को छूने वाली बात ,सरल शैली और प्रेजेंटेशन की खूबी है इसमे ..badhai

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