Tuesday, April 21, 2009

मैं कोनसा भाषण सुनने जा रही हूँ......

पानी के छींटे लगते ही मैं हडबडा कर उठ बैठा. इससे पहले कि गुस्से में मेरा तीसरा नेत्र खुलता दोनों नेत्रों के सामने श्रीमतीजी का चेहरा आ गया. बस इतना काफी था, तीसरा नेत्र उनींदा ही रह गया। एक हाथ मैं पानी का लोटा और दूसरा हाथ कमर पर रखे घर की महारानी खड़ी थी। नींद तो एक झटके में भीगी बिल्ली बन गयी। आँखें बिना खोले ही खुल गई. इससे पहले की में कुछ बोल पाता, उसकी सवाई माधोपुर के अमरूदों की सी मिठास लिए आवाज मेरे कानो में पड़ी -

'आप नहीं उठ रहे थे न, इसलिए पानी डालना पड़ा.

उसकी नरमी मेरी गर्मी बड़ा गई.

'आज सुबह -सुबह ऐसा कोनसा पहाड़ टूट पड़ा कि मेरी नींद ख़राब कर दी.

अचानक मेरा ध्यान श्रीमतीजी के सार श्रींगार पर गया। बाप रे क़यामत डा रही थी. दिमाग की बत्ती बिना स्विच दबाये ही जल गयी. खटका तो उसकी मीठी आवाज सुनकर ही हो गया था.

'और ये सज-धज कर कहाँ जाने की तैयारी है।'

' वो नेताजी की सभा है न, बालाजी के चौक में। मोहल्ले की सभी ओरतें जा रही हैं.

मेरा दिमाग घनचक्कर हो कर रह गया। मुझे हंसी भी आयी.

'ये तुम्हें भाषण सुनने का शौक कबसे चर्रा गया'

'अजी भाषण किसे सुनना है। हम तो सलमान खान को देखने जा रहे हैं.'

अभी में इस पर कोई प्रतिक्रिया देता इससे पहले ही पड़ोस वाले शर्माजी की बबली की तेजी के साथ सीन में एंट्री हुयी। बिना पोजीसन लिए ही उसने डाइलोग बोल दिया.

'जल्दी आइये आंटी जी सब आंटियां ऑटो में बात चुकी हैं। आपका ही इन्तेजार है।'

एक ही सांस में सारी बात कहने के साथ ही वो एग्जिट हो गई और दृश्य में रह गए हम -दोनों.

मैंने कुछ सोचते हुए श्रीमती जी से कहा

'देखो हम उसे वोट भी नहीं दे रहे हैं फिर तुम क्यों जा रही हो उसकी सभा में.

'वोट तो आप कहोगे वहां ही देंगे, और फिर में कोनसा उसका भाषण सुनने जा रही हूँ। में तो सलमान खान को देखने जा रही हूँ.

उसकी आंसर की ने मुझे चुप कर दिया. मेरी चुप्पी उसके लिए हाँ थी. वो पलती और झटके से दरवाजे से बहार निकल गई. में मुह खोले और दायां हाथ आगे बढाये कुछ बोलने के अंदाज में फ्रीज़ हो गया.

5 comments:

Anonymous said...

तो यह असलियत है घर घर में उठ रही नारी राजनीति का? :डी वैसे प्रियंका को देखने आप नहीं गए? ;)

अनिल कान्त said...

waah !! maza aa gaya

vandana gupta said...

bilkul sahi kaha..........wo kaun sa bhashan sunne gayi thin aur vaise bhi jitne log jate hain wo kaun sa sunne jate hain.........sab apne apne maksad se hi jate hain.

सुशील छौक्कर said...

यह सच है जिसने जहाँ वोट देने की सोच ली वो वही देगा बैशक कोई कुछ भी कर ले।

VICHAAR SHOONYA said...

shivraj ji i was browsing the blogs and liked your presentation. you had 8 follower which i think is a bit ominous so i made it 9 by joining your followers list. i have read all your articles and liked them.

wish you lots of good luck.

468x60 Ads

728x15 Ads