Wednesday, October 1, 2008

एक अलग से नौकर रख लो

सुबह -सुबह मोनू उठकर
माँ से बोला आँखें भरकर
मम्मी पड़ने मैं नही जाना
मुस्किल चलना बैग उठाकर

मैं नन्हा सा बालक मम्मी
थेला है भारी भरकम
इस्कूल तक जाते -जाते
भर जाता है मेरा दम

या तो किताबें कम कर लो
या एक अलग से नौकर रख लो
बहुत वजन है मम्मी इसमे
चाहो तो तुम परख लो

भर आया दिल ममता का
सुनकर बोल दुलारे के
ना बेटा ना, नही रोते हैं
हैं नियम पड़ाई के न्यारे से

पड़ते -पड़ते जब लाला तू
ऊंची कक्षा मैं जाएगा
बेग -बाग़ कुछ न रखेगा
बस एक कापी ले जाएगा

बात सुनी जो मम्मी की
मोनू बड़ा हर्षाया
पलटा जाने को इस्कूल
हंसकर बेग उठाया
शिवराज गूजर

1 comment:

वीनस केसरी said...

सुबह -सुबह मोनू उठकर
माँ से बोला आँखें भरकर
मम्मी पड़ने मैं नही जाना
मुस्किल चलना बैग उठाकर

एक अच्छी कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद
गजल की क्लास चल रही है आप भी शिरकत कीजिये www.subeerin.blogspot.com

वीनस केसरी

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