Wednesday, October 15, 2008

मेरे सामने शरमा रही है

योन शिक्षा पर लिखी गयी पुस्तक के लेखक का टीवी के लिए इंटरव्यू चल रहा था, उन्होंने पुस्तक मैं पुरजोर तरीके से यह बात उठाई थी कि बच्चों को योन शिक्षा डायनिंग टेबल पर दी जानी चाहिए , अपने लेखन मैं उन्होंने अपनी धर्मपत्नी का बराबर का हाथ बताया था, जाहिर था उनके साथ उनकी अर्धांगिनी का भी इंटरव्यू जरूरी था, लेकिन वो बोलने मैं बार-बारअटक रही थी, हमने समझा वो कैमरे के सामने ख़ुद को असहज महसूस कर रही है सो उन्हें खोलने के लिए कहा, आप बोलिए मैडम, यह तो रिहर्सलहै फाइनल टेक बाद मैं लेंगे, तभी लेखक महोदय बीच मैं ही बोल पड़े, नही ऐसी कोई बात नही है, योन संबंधों की बात है न, इसलिए ये मेरे सामने झिजक रही है, यह कह कर वे भीतर चले गए, अब इंटरव्यू निर्बाध चल रहा था,
शिवराज गूजर

3 comments:

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

aas paas ki baaton par bada close observation karte hain aap.

मोहन वशिष्‍ठ said...

शिवराज जी अच्‍छा लिखा और यह मुद़दा भी अच्‍छा है अब बस यही दुआ हे कि आप इस विषय पर भी खूब लिखो ताकि हम और बहुत से भाई इस बात से जागरूक हों

निर्झर'नीर said...

bahot khoobsurtii se aapne samajik moolyo ki ahmiyat or unke bikharte roop ko vyakt kiya hai vo bhi vyangatmak shaili mai..

man bhaav vibhore ho gaya apne biradri bhai ko ek lekhak ke roop mai dekhkar.

mai bhi aapka ek gurjar bhai hun
Greater noida se..
Diwali ki shubh kaamnao ke sath

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