Sunday, December 14, 2008

छंटनी

मंदी की मार सबसे ज्यादा पड़ी है प्राइवेट कम्पनियों के कर्मचारियों पर, रातों की नींद उड़ गयी है, रात की पारी मैं काम करने वाले तो खेर पहले भी रात को नही सो पाते थे, लेकिन ये जगराता उससे अलग है, हर समय छंटनी की तलवार सर पर लिए काम करना, कुछ कम हिम्मत का काम नही है भाई, मेरे एक कार्टूनिस्ट दोस्त ने उनका दर्द कुछ इस तरह से व्यक्त किया,

शिवराज गूजर

7 comments:

समयचक्र said...

bahut sateek joradar vyangy hai.



kripya Ward verification hatane ka kasht kare.

दिनेशराय द्विवेदी said...

ये तो डाक्टर ज्योतिषी भी है।

Anonymous said...

bilkul sahi pechaane Dr saahib... :P

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

जीवन के सच को प्रभावशाली तरीके से शब्दबद्ध िकया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है -आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

shivraj gujar said...

mahendraji,dvivediji, hemjyotsnaji,dr ashok priyaranjan aapka bahut bahut shukriya. aap mere blog par aaye. mera utsah badaya.
shivraj gujar

ambrish kumar said...

yeh chinta swbhavik hai.
www.janadesh.in

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

sahi pechaana Dr saahib ne

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