Saturday, February 7, 2009

चार लाइने

बेखयाली में ही सही
आप कुछ कदम तो चले
शायद अपने बीच के
फासले यू ही मिट जायें

शिवराज गूजर

5 comments:

अनिल कान्त said...

चाँद लाइनों में बहुत कुछ कह गये आप ..


अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Vinay said...

चार पंक्तियों में कायनात समेट ली


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गुलाबी कोंपलें

vandana gupta said...

bahut sundar bhav...

shivraj gujar said...

अनिलजी. विनयजी और वंदनाजी आपकी तारीफ ने मेरी कलम मैं और ताकत फूँक दी है, बहुत बहुत शुक्रिया,

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अनजाने में चलते जाओ,
एक समय वह आयेगा।
अन्तर सारे मिट जायेंगे,
प्रेम-निलय बन जायेगा।।

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