Wednesday, February 18, 2009

ऐसी भी क्या जल्दी है

शास्त्री नगर जाने वाली बस देख रामबाग पर खड़े शर्माजी एकदम से अलर्ट हो गए । बस मैं पैर रखने की भी जगह नही थी, ऐसे मैं जब शर्माजी दोड़ कर बस मैं चड़ने लगे तो कंडेक्टर ने उन्हें रोकने की कोशिश करते हुए कहा,
बिल्कुल भी जगह नही है भाई साहब । पीछे वाली मैं आ जाना ।
जब तक उसकी बात पूरी हुई शर्माजी भीड़ के बीच मैं फंसा चुके थे अपनी बोडी । एक पैर तो हवा मैं लटका हुआ चिल्लाता ही रह गया था मैं कहाँ टिकू ।
ऐसी भी क्या जल्दी है, पीछे वाली बस मैं आ जायें, जब जगह नही है तो जान जोखिम मैं डालने से क्या फायदा,
अगली सवारी को बस मैं चढ़ता देख शर्माजी बडबडा रहे थे ।
शिवराज गूजर

2 comments:

अनिल कान्त said...

भाई ये भी बहुत खूब रही

संगीता पुरी said...

दूसरो को शिक्षा देते समय अपना दिमाग जितना चलता है , उतना खुद में नहीं।

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